
पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की मुश्किलें: IPL और अन्य लीग्स में भी नहीं मिल रहा मौका
पाकिस्तानी क्रिकेटर्स इन दिनों दुनियाभर की क्रिकेट लीग्स में अपनी उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। आईपीएल (IPL) से बाहर रहना तो पहले ही चर्चा का विषय था, अब कई अन्य टी20 लीग्स में भी उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। हाल ही में, पाकिस्तान के प्रमुख क्रिकेटर्स जैसे नसीम शाह, सईम अयूब और शादाब खान ने इंग्लैंड की ‘द हंड्रेड’ लीग के ड्राफ्ट में नाम डाला था, लेकिन उनका कोई चयन नहीं हुआ। पाकिस्तान के कुल 50 क्रिकेटर्स में से कोई भी खिलाड़ी इस लीग में नहीं बिक पाया।
इससे पहले, पाकिस्तान की क्रिकेट टीम ने 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी में भी शर्मनाक प्रदर्शन किया, जहां वे बगैर कोई मैच जीते ही ग्रुप स्टेज से बाहर हो गए थे। अब, न्यूजीलैंड दौरे पर पहले टी20 मैच में भी पाकिस्तान को करारी हार झेलनी पड़ी। पाकिस्तान की टीम केवल 91 रनों पर सिमट गई, और न्यूजीलैंड ने 61 गेंदों में 9 विकेट से मैच जीत लिया।
इस प्रदर्शन के साथ-साथ, पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में खेलने का सपना देखने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को अब दुनियाभर की अन्य प्रमुख लीग्स में भी कोई मौका नहीं मिल रहा है। इसकी एक वजह यह मानी जा रही है कि आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों का ही पैसा इन लीग्स में लगा हुआ है, जिससे पाकिस्तानी खिलाड़ियों की अनदेखी हो रही है।
द हंड्रेड और आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों की भूमिका
इंग्लैंड की ‘द हंड्रेड’ लीग में चार टीमों में आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों का निवेश है। ओवल इंविंसिबल्स, मैनचेस्टर ओरिजिनल्स, नार्दर्न सुपरचार्जर्स और दिल्ली कैपिटल्स की टीमों में इन मालिकों की हिस्सेदारी है। इससे यह संदेह उत्पन्न हो रहा है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की अनदेखी का कारण हो सकता है कि आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों की भूमिका इन लीग्स में भी अहम है।
साउथ अफ्रीका20 लीग में भी नहीं खेले पाकिस्तानी क्रिकेटर्स
यह समस्या सिर्फ इंग्लैंड की लीग्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि साउथ अफ्रीका की साउथ अफ्रीका20 लीग (SA20) में भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को कोई मौका नहीं मिला है। इस लीग की सभी छह टीमें आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों के सह-स्वामित्व में हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि यही वजह हो सकती है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को इस लीग में खेलने का अवसर नहीं मिला।
इस स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय टी20 लीग्स में खेलने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, और इसके पीछे आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों का प्रभाव एक अहम कारण हो सकता है।