
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में खेती के नाम पर टैक्स बचाने वाले, हो सकती है कड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (आईटी विभाग) ने उन लोगों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है, जो खेती के नाम पर गलत तरीके से अपनी आय छुपा रहे हैं और टैक्स बचा रहे हैं। दरअसल, खेती की आमदनी पर न तो इनकम टैक्स लगता है और न ही जीएसटी। इसी छूट का गलत फायदा उठाकर कई दशकों से लोग अपनी ब्लैक मनी को सफेद करने और टैक्स बचाने के लिए खेती की आमदनी को अपनी आय के रूप में दिखा रहे हैं।
अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने देशभर में इस पर निगरानी बढ़ा दी है। कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां लोगों और कंपनियों ने 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की खेती की आमदनी बिना असल जमीन के दिखाई है। इस तरह के मामलों की गहन छानबीन की जा रही है, क्योंकि इन आंकड़ों का सरकारी आंकड़ों से कोई मेल नहीं है और यह साफ तौर पर एक धोखाधड़ी का संकेत देते हैं।
इतना ही नहीं, विभाग ने उन मामलों पर भी ध्यान दिया है जहां 5 लाख रुपये प्रति एकड़ की फर्जी खेती की आमदनी का दावा किया गया है। इन आंकड़ों का भी कोई ठोस आधार नहीं है। यदि विभाग इन मामलों की जांच और विस्तार से करता है, तो यह कई जगहों पर विवादों का कारण बन सकता है। खासतौर पर बड़े नेता और ताकतवर लोग जिनकी ज़मीनें हैं, वे इस जांच से बच नहीं पाएंगे। ऐसे मामलों में उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
यह जांच जयपुर के कुछ मामलों से शुरू हुई है, जहां लोगों ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में 50 लाख रुपये से ज्यादा की खेती की आमदनी दिखा दी थी। इन मामलों को हाई-रिस्क केस के तौर पर चिन्हित किया गया है और विभाग टैक्स भुगतान करने वालों के दावों की गहनता से जांच करेगा। ये मामले साल 2020-21 के हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जिन लोगों की पहचान की है, उन्हें यह साबित करना होगा कि उन्होंने अपनी जमीन का असल में खेती के लिए उपयोग किया था। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विभाग पहले ही सैटेलाइट इमेज के माध्यम से खेती की जांच कर चुका है और भविष्य में भी इस तरह की जांच जारी रखने की योजना है।
कैसे काम करता है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच?
जमीन की प्लाटिंग और बिक्री, शहर की जमीन बेचने, कमर्शियल इस्तेमाल के लिए फार्महाउस किराए पर देने, मुर्गी पालन और अन्य ऐसी गतिविधियों से होने वाली आमदनी को खेती से संबंधित नहीं माना जाएगा और इसके लिए टैक्स देना होगा। इसके अलावा, अगर किसी ने अपनी गैर-खेती वाली जमीन स्टांप ड्यूटी वैल्यू से कम दाम पर बेची है, तो उन पर भी टैक्स लगाया जा सकता है।
किसी को खेती से होने वाली आमदनी पर टैक्स छूट मिलती है:
- खेती की आमदनी में केवल फसल बेचने से होने वाली कमाई या जमीन का किराया शामिल हो सकता है, बशर्ते यह जमीन नगर निगम की सीमा से बाहर हो और उस इलाके में न्यूनतम आबादी हो।
- खेती की जमीन बेचने से होने वाला मुनाफा भी टैक्स से छूट सकता है, अगर वह जमीन इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 2(14)(पपप) के तहत कैपिटल असेट की परिभाषा में नहीं आती है।
- अगर यह जमीन गांव की हो तो उसे कैपिटल गेन टैक्स से छूट दी जाती है, जबकि शहरी खेती की जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
फर्जी दावा करने पर हो सकता है जुर्माना
अगर किसी के पास इतनी आमदनी है, जिसका कोई असल प्रमाण नहीं है, और वह गलत तरीके से छूट का दावा करता है तो उसे जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। विभाग के द्वारा इन मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी, और जो लोग गलत तरीके से खेती की आमदनी का दावा कर रहे हैं, उन्हें कानूनी नतीजों का सामना करना पड़ेगा।